Thursday, May 18, 2023

Vat savitri puja kab hai l vat savitri vrat 2023 वटसावित्री व्रत पूजा विधि l vat savitri puja 2023

 Vat savitri puja kab hai | vat savitri vrat 2023 वटसावित्री व्रत पूजा विधि | vat savitri puja 2023


Vat Savitri katha ka video sunne ke liye yaha click kare

नमस्कार दोस्तों मैं बात करूँगी वट सावित्री व्रत 2023 में पूजा विधि कैसे करनी है? शुभ मुहूर्त कौन सा है कि इस समय आपको पूजा करना चाहिए और हाँ, व्रत कब खोलना चाहिए? व्रत खोलने से संबंधित बहुत सारे प्रश्न है आपकी कि व्रत कैसे खोलना चाहिए? कब खोलना चाहिए तो इस बारे में भी बहुत विस्तृत तरीके से बात होगी विडिओ में और हाँ दोस्तों वट सावित्री व्रत जैसा कि आप जानते हैं कि पति के लिए बहुत विशेष महत्त्व रखता है यह व्रत आज के दिन सुहागिन महिलाएं यदि बट वृक्ष की पूजा करती है तो बट वृक्ष की पूजा से त्रिदेव की कृपा मिलती है यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की साथ साथ संयुक्त रूप से कृपा मिलती है। और क्या आप अपने जीवन को सुखी और संपन्न बनाने के लिए कर सकते है? सारी जानकारियां इस लेख से प्राप्त करेंगे।


वट सावित्री व्रत 2023 पूजा मुहूर्त


19 मई को सुबह 07 बजकर 19 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक दोस्तों इस बार 19 मई को ही आपको वट सावित्री व्रत धारण करना है। आज संक्षिप्त तरीके से बता देती हूँ कि आपको पूजा कैसे और किस तरह से करनी है। तो देखिये दोस्तों पूजा के लिए इसमें विशेष होता है कच्चा सूत महिलाएं कच्चे सूत की फेरी लगाती है फेरी मतलब आप लोग जानते हैं परिक्रमा हाथ में धागे को लेकर परिक्रमा किया जाता है। और पूजाविधि में जैसे कि सामान्यतया मैं बता देती हूँ कि एक लोटा जल से आठ आज बार वृक्ष को सींचा जाता है। उसके बाद आप बटवृक्ष को सिंदूर से तिलक करेंगे। सुहाग सामग्री, सेट, चढ़ाएंगी, भोग वगैरह चढ़ाएंगे। यह सामान्यतया पूजा पाठ आप इस तरह से कर लीजियेगा फेरी जरूर लगाई जाती है। आज के दिन व्रत भी रखा जाता है। 


देखिये इस व्रत का अलग अलग विधान है। आज मैं पूरी तरीके से आपको बता दे रही हूँ कि कैसे रखना है व्रत, कब क्या खाना है, क्या नहीं खाना है और व्रत कब और कैसे खोलना है। देखिये सबसे पहली चीज़ आप अन्य किसी व्रत में उठती है तो चाय पी लेती है, पानी पी लेती है तो इस व्रत में 19 तारीख को आपको बड़े वृक्ष की फेरी लगानी है तो आप चाय पानी नहीं पी जिएगा। ध्यान रखिएगा इस बात को इस जो फेरी लगाई जाती है वह बासी मुँह ही किया जाता है। बासी मुँह का मतलब की यह एक ठेठ भाषा मुँह बोला जाता है, का मतलब कि आपको दाँतुन वगैरह करना है, लेकिन पानी या चाय ये सब नहीं पीना है तो सब मिला झुला के। कहने का। ये मतलब हुआ कि निर्जला रहकर की ही आपको करना है। कब तक करना है? 

देखिये पूजा का शुभ मुहूर्त इसमें होता है कि आप 12:00 बजे से पहले पहले ये पूजा संपूर्ण संपन्न कर ले। कुछ स्थानों पर ऐसा कहा जाता है कि 12:00 बजे के बाद यह पूजा संपन्न होती है। लेकिन देखिये यदि आपके यहाँ क्या यह नियम है यह रिवाज है कि 12:00 बजे के बाद आपके यहाँ पूजा होती है तो आप अपने यहाँ की जो स्थानीय आपके यहाँ की मान्यता है। स्थानीय मान्यता के अनुसार आप पूजा करिए लेकिन शास्त्रों के अनुसार 12:00 बजे से पूर्व ये पूजा, ये फेरी वगैरह लग जानी चाहिए तो जब तक आपकी फेरी नहीं हो जाती, तब तक आपको निर्जला रहना है। जब तक आप की पूजा नहीं हो जाती तब तक आपको निर्जला रखना है। अब पूजा के बाद जो फल होता है जो और या फिर कुछ लोग जो है वह चने जो भीगे चने आप पूजा के लिए ले जाती है वह या फिर जो बड़ ब्रिक्ष की कोपलें होती है, नयी नयी जिसमें फल निकलने से पहले कोपलें होती है वह ले आकर के उसको निकलते है पहले और उसके बाद तब पानी पीते हैं तो सब मिलाकर पानी पीने का सुमोद जो है वह आप जब पूजा कर लेती है उसके बाद पानी, चाय इत्यादि पी सकते हैं।


ये चीज़ आपकी बिल्कुल स्पष्ट है कि आप पूजा के बाद ही चाय और पानी पीयेंगे तो आप पूजा जितनी जल्दी कर लेती है तभी आप अपना चाय पानी ग्रहण करिएगा क्योंकि यह व्रत बहुत विशेष है और कहा जाता है कि माता सावित्री ने सत्यवान् के प्राणों की रक्षा के लिए तीन दिनों तक निर्जला उपवास रखा था। अब हमारे अंदर तो हो सकती नहीं है कि हम 3 दिन निर्जला उपवास रख सकें, लेकिन जितना हो सके जो हो सके वह करने का प्रयास हमें करना चाहिए। तो प्रयास करें कि आप जो है और पूजा निर्जला करें और पूजा के तुरंत बाद जब आप घर आये तो उसी चने से कुछ लोग जो हैं, चने अभी के चने खाकर के प्रसाद और व्रत खोलते हैं, कुछ बढ़ की कोपलें खाकर के प्रसाद खोलते हैं और आपके यहाँ यदि स्थानीय मान्यता कोई और हो तो आप वो खा लीजिये। लेकिन ये दो चीजें ही खा करके व्रत खोला जाता है। उसके बाद कुछ लोग जो है वह फल पर ही पूरे दिन का व्रत रखते हैं। कुछ लोग पूजा के बाद जब जल ग्रहण करते हैं उसके बाद सामान्य बिना लहसुन प्याज का खाना खा लेते है। 

अब यदि आपके यहाँ ऐसी परंपरा नहीं है तो आप शाम को मीठा भोजन करिए। बिना नमक का शाम को भोजन किया जाता है। और सुबह अगली सुबह जो हैं आप अपना नहा धो करके और जो भी सामान्यतया खाना पीना चाहे, वो खा लीजिए तो उसके लिए मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है। जब शाम को आपने मीठा भोजन कर लिया तो आपका व्रत संपूर्ण माना जाता है। 

अब एक चीज़ और बता दूँ कि पूजा करने में आपको किसी भी तरह की दिक्कत आ रही है। शरीर में कमजोरी है या कुछ भी दिक्कत है तो आप पानी ले लीजियेगा। यदि ब्लड प्रेशर है या कोई भी दिक्कत आपको लग रही है कि चक्कर आएगा, कमजोरी है या फिर आप प्रेग्नेंट हैं। कोई किसी तरह की दिक्कत है तो आप पानी ले लीजियेगा। चाय ले लीजियेगा क्योंकि सबसे बड़ी चीज़ होती हैं हमारा स्वस्थ्य। अगर हम चल ही नहीं सकते, कुछ कर ही नहीं सकते तो पूजा पाठ तो उसके बाद है तो किसी तरह की दिक्कत है तो पानी, चाय वगैरह ले लीजियेगा। नहीं दिक्कत है भगवान आप को सवस्थ रखे हैं, तो आप इस नियम का पालन जरूर करिएगा। पूजा विधि में एक चीज़ का और ध्यान दीजियेगा एक एक चीज़ मैं बता चुकी हूँ।  


पूजा में बांस के पंखे का प्रयोग जरूर करिएगा। बैस के पंखे का प्रयोग जो है, दान करने के लिए भी किया जाता है और पूजा में बटवृक्ष को उससे हवा की जाती है। तो कारण मैंने बताया है लेकिन फिर आपको बता देती हूँ कि उन सावित्री देवी ने अपने पति को जब इस तरह के पंखे से हवा कर रही थी तो उस हवा में भी इतनी सकती थी। इतना तेज उतना तपोबल था कि यम के दूध उस हवा के अंश से दूर हो जा रहे थे, हट जा रहे थे। वो सत्यमान को छू भी नहीं पा रहे थे। तभी से नियम है कि हर सुहागिन महिला अपने पति को उसी जो जिससे वटवृक्ष को हवा करती है वो लाकर अपने पति को उस पंखे से हवा अवश्य करती है। 


अब कुछ प्रश्न आया था कि पति यदि दूर है नहीं, हम कर पा रहे है तो फिर क्या करें? कैसे हवा करे? पति को तो पंखा तो देखिये, टूटने वाली चीज़ है नहीं आप बांस का बना हुआ पंखा आप उसको रख लीजिए और जब आपके पति आते हैं तो आप इस पंखे से हवा करने का नियम एक बार अवश्य कर लीजियेगा। 


पालन का शुभ मुहूर्त मैंने बता दिया कि पालन कब और कैसी किस तरह करना है ये चीजें आपको ध्यान जरूर रखना है। मैं देखिये हमारे यहाँ आप लोग पूछेंगे तो हमारे यहाँ चने खाये जाते हैं जो काले चने जो पूजा में प्रयोग होते हैं, चने निगलने के बाद पानी पीया जाता है, उसके बाद हर स्थान का अलग अलग नियम होता है। हमारे यहाँ लोग सामान्यतया भोजन करते हैं। कुछ स्थानों पर नमक वाला नहीं बल्कि मीठा भोजन करते।


 जो आपके यहाँ की परंपरा हो कर लीजियेगा, सब मिला जुलाकर मोटे सब मैं आपको बता दू ना तो सिर्फ आज फेरी लगाने का महत्त्व होता है तो फेरी लगा लीजिएगा। ब्रज जैसे चाहे वो रख लीजिएगा, नहीं भी रख पाते हैं तो कोई टेंशन वाली बात नहीं है। कर लीजियेगा अब एक चीज़ और बता देती हूँ आपको आज अखंड सौभाग्यवती यदि रहना चाहती हैं ना तो चाहे हरतालिका तीज हो गया, करवा चौथ हो गया, बट सावित्री हो गया। इस दिन आप जितनी अच्छी सामग्री खुद के लिए लाती है, जो भी लाती है आज वो सामग्री एक सेट लाइए और इसको किसी को दान करिए। दान आप किसी अपने को कर सकती हैं, किसी ब्राह्मण को कर सकती है। जो भी ठीक लगे उस में आप एक से जरूर रखिएगा। इत्र किसी से रखने से क्या होगा देखिये इत्र से शुक्र मजबूत होते हैं। शुक्र मजबूत होकर जीवन में पति पत्नी के बीच प्रेम भी बढ़ाते हैं। देखें शुक्र का मतलब की बहुत सारे लोग यही समझते हैं कि सुकरजो है सिर्फ धन दौलत देते है नहीं। वो पति पत्नी के बीच प्यार, संबंध और आपसे रिश्ते को मजबूत करने का काम भी करते हैं। तो आप लोग यह काम जरूर कर लीजिएगा। 


एक चीज़ और आपको करना है। वट सावित्री के दिन किसी भी स्थिति में है पूजा कर रही हैं, व्रत कर रही है, नहीं कर रही है। आज के दिन आपको अपने हाथों में हरी चूड़ियां धारण करनी है और यह हरी चूड़ियां पूजा के समय आप जरूर धारण करिए। इन चूड़ियों को आप एक एक करके हमेशा अपने हाथों में पहने रहिए। आज जो है माता सावित्री के आशीर्वाद से आपके रिश्ते में अटूट प्यार और संबंध आपका मधुर होगा तो ऐसा जरूर कर लीजियेगा। विशेषकर वो बच्चियां जिनके नई नई शादी हुई है, रिश्ते में कुछ समझ में नहीं आ रहा है। की मतलब ये रिश्ता चलेगा, टिकेगा नहीं टिकेगा तो आप लोग आज हरी चूड़ियां चूड़ियां धारण करेगा और पूजा के बाद इन चूड़ियों को कम से कम 24 घंटे तक पहने रहेगा। उसके बाद चूड़ियों को कुछ चूड़ियों को निकाल लीजिये। गा कुछ पहने रहिएगा। कम से कम छह सात महीने तक एक एक करके एक एक करके को डालते रहिएगा। इससे आपकी आप से रिश्ते मजबूत होंगे। जीवन में जो दुविधा की स्थिति आ गई है वो सब दूर होती है तो यह सब जरूर कर लीजियेगा। 


Vat Savitri Puja भूलकर ना करें 7 गलती Vat puja 2023


आइए जानते हैं कि वट सावित्री व्रत में सुहागिन महिलाएं कौन से ऐसे साथ काम है या सात गलतियाँ हैं जो ना करे। अगर ऐसा आप करेंगे तो आपके साथ भी थोड़ा सा बुरा हो सकता है। आपको बता दें 19 मई को शुक्रवार के दिन का व्रत रखा जाएगा। महिलाओं के लिए करवाचौथ के व्रत के समान ही होता है और इसमें कथा सुनी जाती है। तो आइए जानते हैं कि पति की लंबी आयु के लिए 19 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा। खासकर ये सुहागिन महिलाएं व्रत रखती है। अपने पति की लंबी उम्र के लिए और ये निर्जला उपवास रखा जाता है। तो सबसे बड़ी बात ये है की इसमें रक्षा सूत्र बांधा जाता है। बरगद के पेड़ पर तो आप भी अगर वट वृक्ष की पूजा कर रहे हैं तो इस बातों का ध्यान रखें। सबसे पहले तो जान लीजिए की ज्योतिषविद कहते हैं कि वट सावित्री व्रत में सुहागिन जाने अनजाने कई बड़ी गलतियाँ करती हैं तो इन्हें ये गलतियाँ करने से बचना चाहिए। तो आप ध्यान दीजिए सात गलतियाँ ना करिए। 


1. वट सावित्री व्रत के दिन सुहागिन काले, नीले या सफेद रंग के वस्त्र बिल्कुल न पहनें। काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक होता है। 


2. वहीं पर दूसरी गलती आप ये ना करियेगा की शादी के बाद पहली बार सुहागिनों को ससुराल में नहीं मायके में करना चाहिए। यानी अगर आप की नई नई शादी है और पहेला व्रत आप अगर रखने जा रहे हैं तो ससुराल में नहीं मायके में आपको रखना होगा। सुहाग की सामग्री भी मायके से ही लेनी है। 


3. इसके साथ ही तीसरी गलती आप ये ना करियेगा की व्रत में वट वृक्ष पर कच्चा सूत बांधते हैं तो उसकी परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा के समय दूसरों को पैर लगने से वो खंडित हो जाता है इसलिए आप धीरे धीरे आसानी से आराम से चलिएगा जिससे दूसरों का पैर ना लगे और आपका पैर भी दूसरों को ना लगे। 


4. इस दिन कई लोग बरगद के पेड़ से जुड़े उपाय करते हैं लेकिन को इस दिन गलती से भी बरगद की टहनियां नहीं तोड़नी है। आप इसी का व्रत रख रहे हैं तो इसकी टहनी, इसकी पत्ती वगैरह ना तोड़े। 


5. वटवृक्ष व्रत में कथा जरूर सुनी जाती है तो कथा को बीच में अधूरा ना छोड़िए। जब कथा चल रही हो तो अपने स्थान से उठना भी नहीं चाहिए। पूरा व्रत जरूर सुनियेगा 


6. वट सावित्री व्रत के दिन देर तक ना सोये। मन में दूसरों के लिए बुरे विचार और क्रोध की भावना भी बिल्कुल ना रखें। 


7. साथ ही यदि घर में किसी महिला ने व्रत रखा है तो घर के अन्य सदस्य भी तामसिक भोजन जैसे की लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा का सेवन ना करें। पूरा प्रभाव पड़ता है 

तो एक अपडेट था वट सावित्री व्रत का। आई होप आपको ये पसंद आया होगा। 19 मई को रखा जाएगा वट सावित्री का व्रत महिलाएं रखती हैं पति की लंबी आयु के लिए तो मिलते है नए अपडेट में नई जानकारी के साथ आपको ये लेख कैसा लग comment में जरूर बताऐ ।


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